ऐसे दो खिलाडी जिनकी कमी आज इंडिया को खल रही,जाने क्या कारण हैं ??

टीम इंडिया को चाहिए धोनी युवराज जैसे खिलाड़ी :

दोनों के पावन हिटिंग की दुनिया थी दीवानी , जानिए तीन कारण क्यों खल रही है आज उनकी कमी
 2007 में T20 वर्ल्ड 2011 में वनडे वर्ल्ड कप जीता 


 13 फरवरी 2006 का दिन।  लाहौर और गद्दाफी स्टेडियम में भारत पाकिस्तान के बीच सीरीज का  सीरीज का तीसरा वनडे मैच खेला जा रहा था पहले बल्लेबाजी करते हुए पाकिस्तान की टीम ने 50 ओवर में 288 रन बना दिए शोएब मालिक ने शानदार 108 रनों की पारी खेली जवाब में टीम इंडिया ने 190 रन पर 5 विकेट गिर गए।

 भारतीय फैंस की उम्मीदों को तब करारा झटका लगा जब सचिन तेंदुलकर 95 रन बनाकर आउट हो गए उनके अलावा कोई भी भारतीय बल्लेबाज कुछ खास कमाल नहीं कर पाया था। ऐसा लगा कि टीम इंडिया यह मुकाबला हार जाएगी लेकिन उस दिन भारत के ऐसे सुपरस्टार का उदय हुआ जिन्होंने आने वाले दिनों में भारत को 1 मिनट मैचों में जीत दिलाई यह खिलाड़ी थे महेंद्र सिंह धोनी और युवराज सिंह।
 दोनों के बीच 102 रन की साझेदारी हुई और भारत ने 27.4 ओवर में 292 रन बनाकर मुकाबला जीत लिया धोनी ने सिर्फ 46 बॉल पर 72 रन की धमाकेदार पारी खेली, वहीं युवराज सिंह के बल्ले से 79 रन निकले। यह दोनों खिलाड़ी फिनिशर के साथ-साथ मल्टीटैलेंटड भी थे।

 इन दोनों के संन्यास लेने के बाद टीम इंडिया बड़े टूर्नामेंट में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पा रही है। 2013 के बाद हम कोई आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीत पाए है। T20 वर्ल्ड कप 2021 के बाद एशिया कप में भी टीम इंडिया को हार हो गई अगर हमें अक्टूबर में वर्ल्ड कप जीतना है तो ऐसे खिलाड़ियों की जरूरत है ऐसा हम क्यों कह रहे हैं आइए 3 पॉइंट में समझते हैं

1 दोनों कमाल के पावर हीटर
टीम इंडिया पिछले कुछ समय से ऋषभ पंत को T20 क्रिकेट में पावर हीटर बल्लेबाज के रूप में तैयार कर रही है।लेकिन वह लगातार फ्लॉप हो रहे हैं। T20 इंटरनेशनल क्रिकेट में उनका स्ट्राइक रेट सिर्फ 126 का रहा हैं। पंथ के अलावा हार्दिक पांड्या का भी हाल कुछ ऐसा ही है वह काफी दिनों तक चोट के कारण टीम से बाहर रहे हैं और जब वापसी की है तो प्रदर्शन क़ोई खास नही रहा।
 T20 इंटरनेशनल क्रिकेट में युवराज का रिकॉर्ड 



वहीं, इन दोनों को युवराज और धोनी का विकल्प भी माना जाता है। जब युवराज और धोनी बल्लेबाज करते थे तो उनकी पावर हिटिंग बल्लेबाजी की पूरी दुनिया कायल थी। 2007 में जब पहली बार टी-20 वर्ल्ड कप खेला गया तब योवी ने इंग्लैंड के खिलाफ 6  गेंदों में 6 छक्के लगाए थे। वही आखरी ओवर में धोनी का बल्ला हमेशा कोहराम मचाता था ।

 धोनी ने कई बार अपनी पावर हिटिंग के कारण टीम इंडिया मैच में जीताए है।  कम बॉल में अगर ज्यादा रन की जरूरत होती थी तब तक धोनी आउट नहीं होते थे जब तक भारतीय फैंस का विश्वास नहीं खोता था। वही आज टीम के पास बहुत कम ही ऐसे बल्लेबाज है जो आखरी ओवर में कम बॉल खेल कर ज्यादा रन बना पाए और टीम इंडिया को जीत दिला सके।

2. दोनों  थे मल्टी- टेलेंट

 युवराज सिंह और धोनी दोनों सिर्फ बल्लेबाजी के करण टीम इंडिया का हिस्सा नहीं होते थे। बल्कि उनके अंदर एक से ज्यादा खुबिया थी,युवराज को ही ले लीजिए वह बल्लेबाजी के साथ-साथ गेंदबाजी और कमाल की फील्डिंग करते थे, ...  .युवी के नाम वनडे में 111 विकेट वही T20 इंटरनेशनल क्रिकेट में इस खिलाड़ी ने 28 विकेट झटके थे।

 वहीं धोनी अपनी शानदार विकेट कीपिंग और कप्तानी की से पूरी दुनिया में मशहूर हुए।  वनडे में धोनी के नाम 321 कैच और 123 स्टेमपिंग है। T20 क्रिकेट में धोनी ने 57 कैच और 34 स्टंपिंग की है



 धोनी की कप्तानी में भारत 28 साल बाद 2011 में वनडे वर्ल्ड कप जीता था। साथ ही पहला T20 वर्ल्ड कप चैंपियन माही के ही कप्तानी में टीम इंडिया बनी थी। वही आखरी बार भारत में जो ICC  ट्रॉफी जीती थी, उनके कप्तान भी माही थे।भारत ने 2013 में इंग्लैंड को हराकर चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम की थी।

3 कमाल के फ फिनिशर

 युवराज और धोनी के अंदर मैच को खत्म करने की कमाल की क्षमता थी, आखिरी ओवर तक दोनों मैच को ले जाते थे और वहां से टीम को जीत दिलाते थे। दोनों की लंबी लंबी साझेदारी से भारत ने वनडे और टी-20 में कई मुकाबले जीते हैं।


 अगर टॉप बल्लेबाज फ्लॉप हो जाते हैं तो दोनों आखिरी तक टीम की उम्मीद में बने रहते थे आज तो अगर टॉप बल्लेबाज आउट हो जाते हैं तो निचले क्रम के बल्लेबाज भी हथियार डाल देते हैं। युवी और माही जब बल्लेबाजी करते तो जब तक वह मैदान पर रहते विपक्षी टीम की हालत खस्ता रहती थी।

 इन दोनों के संन्यास लेने के बाद आज तक भारतीय टीम मैनेजमेंट इनका विकल्प नहीं ढूंढ पाया है। यही बहुत बड़ा कारण है कि हम पिछले 9 साल में ICC की एक ट्रॉफी नहीं जीत पाए हैं।

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